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हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कहानी: तूफ़ान और नेकी की निशानी

Posted on March 10, 2025 wasimakhter32@gmail.com By wasimakhter32@gmail.com No Comments on हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कहानी: तूफ़ान और नेकी की निशानी

Hazrat Nuh (Alaihis Salam) ki kahani : हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) इस्लाम के महान पैग़म्बरों में से एक हैं। उनकी कहानी न सिर्फ़ एक पैग़म्बर की दृढ़ता और सब्र को दर्शाती है, बल्कि यह हमें अल्लाह की रहमत और अज़ाब के बारे में भी सिखाती है। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कहानी क़ुरआन में विस्तार से बयान की गई है, और यह हमें अल्लाह के करीब आने और उनकी अवज्ञा से बचने की प्रेरणा देती है। आज हम इस ब्लॉग में हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कहानी को विस्तार से जानेंगे। आज हम इस ब्लॉग में क़ौम ए लूत के वाकया को विस्तार से जानेंगे। आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग DeenAurDuniya.com में जहाँ मैं इस्लामिक जानकारी, इस्लामिक दुआएं, इस्लामिक वाक्याओं और इस्लाम क्यों महत्वपूर्ण है जैसी जानकारी आपके साथ लेकर आता हूँ।

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) का आगमन

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) को अल्लाह ने अपनी क़ौम की हिदायत के लिए भेजा। उस वक़्त लोग शिर्क और गुनाहों में डूबे हुए थे। वह मूर्तियों की पूजा करते थे और अल्लाह को भूल चुके थे। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने उन्हें अल्लाह की इबादत करने और गुनाहों से तौबा करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा:

“ऐ मेरी क़ौम! अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है। क्या तुम अल्लाह से नहीं डरते?” (सूरह नूह, आयत 3)

लेकिन क़ौम ने हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की बात नहीं मानी और उन्हें झूठा बताया। उन्होंने कहा:

“ऐ नूह! तुम तो हमारे जैसे इंसान हो। अगर अल्लाह ने तुम्हें चुन लिया होता, तो फ़रिश्ते भेजता।”

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की मुश्किलें

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने अपनी क़ौम को समझाने की बहुत कोशिश की। उन्होंने दिन-रात अल्लाह का संदेश पहुंचाया, लेकिन क़ौम ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) को धमकाया और उनका मज़ाक उड़ाया। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने अपनी क़ौम से कहा:

“मैं तुम्हें अल्लाह के अज़ाब से डराता हूँ, लेकिन तुम मेरी बात नहीं मानते।”

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने 950 साल तक अपनी क़ौम को समझाने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ़ कुछ ही लोगों ने उनकी बात मानी।

कश्ती का निर्माण

जब क़ौम ने हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की बात नहीं मानी, तो अल्लाह ने उन्हें एक कश्ती बनाने का हुक्म दिया। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह के हुक्म का पालन किया और एक बड़ी कश्ती बनाई। क़ौम ने उनका मज़ाक उड़ाया और कहा:

“ऐ नूह! तुम कश्ती क्यों बना रहे हो? यहाँ तो कोई नदी या समुंदर नहीं है।”

लेकिन हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और कश्ती बनाते रहे।

तूफ़ान का आगमन

जब कश्ती तैयार हो गई, तो अल्लाह ने हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) को हुक्म दिया कि वह अपने साथ हर जानवर की एक जोड़ी और अपने परिवार को कश्ती में बिठा लें। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह के हुक्म का पालन किया और कश्ती में सवार हो गए।

कुछ ही समय बाद, आसमान से पानी बरसने लगा और ज़मीन से पानी फूट पड़ा। यह तूफ़ान इतना भयंकर था कि पूरी क़ौम डूब गई। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कश्ती सुरक्षित रही, और वह अल्लाह की रहमत से बच गए।

तूफान समाप्त होने के बाद, नाव जुदी पर्वत पर रुकी। हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) और उनके साथ के लोग धरती पर उतरे और एक नई शुरुआत की।

कहानी से सीख:

  1. सब्र और दृढ़ता:हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) ने 950 साल तक अपनी क़ौम को समझाने की कोशिश की। यह हमें सिखाता है कि सब्र और दृढ़ता से काम लेना चाहिए।
  2. अल्लाह की रहमत:हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) और उनके साथियों को अल्लाह ने बचा लिया। यह हमें सिखाता है कि अल्लाह की रहमत हमेशा नेक लोगों के साथ होती है।
  3. गुनाहों से बचना:क़ौम ए नूह का वाकया हमें सिखाता है कि गुनाहों से बचना कितना ज़रूरी है।

और पढ़े : 

    • कौम ए समुद का वाकया: अल्लाह की नेमत और उनकी नाफ़रमानी
    • क़ौम ए लूत का वाकया: अल्लाह का अज़ाब और सबक़

निष्कर्ष:

हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की कहानी हमें यह सिखाती है कि अल्लाह की रहमत हासिल करने और उनकी अवज्ञा से बचने के लिए सब्र और दृढ़ता बहुत ज़रूरी है। यह कहानी हमें अल्लाह के करीब आने और उनकी रहमत हासिल करने की प्रेरणा देती है।

अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। अधिक इस्लामिक कहानियों और जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग पर बने रहें।

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